मंडी मंडी "बोली ",
देश में ठीठोली.
चारो तरफ निराशा,
नेता करे तमाशा .
बाबुओं की आशा,
विकास की परिभाषा ,
बन जाये रे ऐसा ...
कोई रोक सके ना पैसा .
काम हो जैसा तैसा ,
ना पूछो भईया कैसा.
सब रूपैया और पैसा,
गबरू हौवा जैसा .
विश्वरूप
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