Friday, September 11, 2009

poem

सोला रोड पर
गाड़ियों की आपसी मोहब्बत आज भी बरक़रार हैं .
लेकिन कम क्योंकि सात नहीं एक पर एक ठुके केवल तीन कार हैं
सोला ब्रिज पर कारों की यह कहानी एक बार नहीं लगातार हैं.
क्योंकि अन्धाध्होंध चलाते ड्राईवर एक नहीं, यहाँ  तो उनकी कतार हैं .

1 comment:

  1. The Austerity poem is so true..should send copies to all those walking the Halls of Power in Delhi and elsewhere! Joy

    ReplyDelete